#मुक्तक
#मुक्तक
केवल कनीज़ है।
(प्रणय प्रभात)
“है आज यहां कल को, कहीं और जाएगी।
ये मालकिन नहीं है, फ़क़त इक कनीज़ है।।
रखिए तिजोरियों में या रखिएगा जेब में।
दौलत कोई दिमाग़ में, रखने की चीज़ है??”
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संपादक
न्यूज़&व्यूज
श्योपुर (मप्र)