जो तुमने चाहा
ऐसा कुछ नहीं हो रहा है
जो तुमने नहीं चाहा था,
आगे भी तुम्हारी चाह से
इतर कुछ नहीं होगा।
तुमने ईश्वर चाहा
तो मंदिर बने,
तुमने शिक्षा चाही
तो विद्यालय बने,
तुमने स्वास्थ्य चाहा
तो अस्पताल बने,
तुमने दिशा चाही
तो मार्ग बनते गए,
तुमने प्रकाश चाहा
तो दीप जलते गए,
तुमने सत्य चाहा
तो ऋषि उठ खड़े हुए,
तुमने प्रश्न चाहा
तो शास्त्र लिखे गए।
तुमने खेत चाहा
तो ऋतु और बादल आए,
तुमने संगीत चाहा
तो वीणा और स्वर जन्मे,
तुमने प्रेम चाहा
तो कवि और कथाएँ बनीं,
तुमने न्याय चाहा
तो समाज और नियम जन्मे।
तुमने कल चाहा
तो वर्तमान आकार लेता गया,
तुमने उम्मीद चाही
तो इतिहास करवटें लेता गया,
तुमने स्वप्न चाहा
तो ब्रह्मांड तुम्हारे लिए
नई राह बनाता गया।
जीवन उतना ही है
जितना तुम चाह लेते हो,
उसी दिशा में बहता है
जिधर तुम दृष्टि रख देते हो।
इच्छा ही बीज है,
संकल्प ही भूमि है,
और कर्म
वह जल है
जो तुम्हारे ही हाथों से बहता है।
जो चाहोगे,
वही बनेगा।
जो ठानोगे,
वही होगा।
ब्राह्मांड उतना ही बदलता है
जितना तुम अपने भीतर
एक विचार बदल देते हो।
-देवेंद्र प्रताप वर्मा ‘विनीत’