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24 Nov 2025 · 1 min read

आख़िरी फ़ैसला

अजीब सी बात है ये अब सच खोजना
गुनाह बन गया है,
झूठों के बीच ज़मीर बचाके रहना
मुश्किल हो गया है ,

जहां सथ बोलने पर सजा मिलती हो ,और
झूठे लोगों की तारीफ़ की जाती हो ,
झूठी बातें सच लगनीं लगें इस तरह
पेश की जातीं हो ,

अब तो हमसे हमारे मादर -ए-वतन में
बाशिंदा होने का सबूत माँगा जाता है ,और
नाजायज घुसपैठिया झूठे दस्तावेजों की बिना पर जायज बाशिंदा बन जाता है ,

हम अपने वतन को छोड़कर कहाँ जायेंगें ?
जिस मिट्टी में पले बढ़े हैं उसे कैसे छोड़ पायेंगे ?

हमने भी फैसला कर लिया है अब जो भी हो ,

हम अपनी जायज हस्ती की ख़ातिर
क़ुर्बान हो जायेंगें ,
मगर किसी दीगर वतन की ग़ुलाम
ज़िंदगीं ना जी पायेंगे।

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