अमर प्रेम
अपने दिल की दुनियां में
हम दोनों राजा रानी हैं
देवोनीता का प्रेम अमर ये
जन्मों जन्मों की कहानी है।
कभी सुखों की धूप सुनहरी
कभी दुखों का काला बादल
हर मौसम में हँसते गाते
नवजीवन की निशानी है।
देवोनीता का प्रेम अमर ये
जन्मों जन्मों की कहानी है।
जिज्ञासा है मन में जागी
तुम कह दो तो बतलाऊँ
हाथ थामकर संग तुम्हारे
प्रेम डगर पर चलती जाऊं।
किंतु शूल नफरत के निशदिन
दिल को द्रवित किये जाते हैं
प्रेम सरल सहज है फिर क्यों
लोग द्वेष लिए आते हैं।
प्रत्येक हृदय में बस जाए,
यही अंतिम अभिलाषा है
निर्मल पावन प्रेम प्रबल की
इतनी सी परिभाषा है।
दिल के द्वार बंद जो कर ले
प्रेम पवन न आनी है।
देवोनीता का प्रेम अमर ये
जन्मों जन्मों की कहानी है।
अपने दिल की दुनियां में
हम दोनों राजा रानी हैं।
कैद करूँ नयनों में प्यारे
स्वप्न सुनहरे प्रांजल से
काश प्रेम का ये पल साजन
बांध सकूं मैं आँचल से
इक लमहा भी छूट न जाये
प्रिय तेरी मेरी प्रीत का
आओ प्रियतम जश्न मनाएं
हम इन घड़ियों में जीत का।
सदा मिलन की रात न होगी
विरह दिवस भी आएगा
प्रेम अभी किलकारी भरता
कल को अश्रु बहायेगा
लेकिन तुम धीरज न खोना
और तनिक न विचलित होना
मेघदूत ले मेरा संदेशा
प्रतिदिन तुम तक आएगा।
संग तुम्हारे हे साजन
मेरी हर शाम सुहानी है
देवोनीता का अमर प्रेम
जन्मों जन्मों की कहानी है।
अपने दिल की दुनियां में
हम दोनों राजा रानी हैं।
देवोनीता का प्रेम अमर ये
जन्मों जन्मों की कहानी है।
अपने दिल की दुनियां में
हम दोनों राजा रानी हैं।