सीधी सट्ट -८४४
सीधी सट्ट -८४४
पहले लोग काम अधिक करते थे और तनाव कम लेते देते थे। अब अस्सी प्रतिशत लोगों के पास काम नहीं होता है (आप ऐसा सोचने को स्वतंत्र हैं कि वे काम करते नहीं) लेकिन तनाव लेने देने के कारोबार के कुछ न कुछ शेयर (हिस्सेदारी) हर कोई रखता है। साँझ होते-होते अस्सी प्रतिशत लोगों के मस्तिष्क में इतना बोझा इकट्ठा हो जाता है जितना उनके अपने पाँव दिन भर ढोते हैं। तब व्यक्ति स्वयं को हल्का करने के उपाय ढूंँढता है जिनके रूप व प्रारूप अनेकानेक पाए जाते हैं- सरलतम किसी दूसरे को मिलते ही अपनी कथा गाथा बक देने से लेकर जटिलतम अकेले या किसी को साथ लेकर आठ-नौ पी एम की बैठक की व्यवस्था करना। कचरे के डिब्बे को किसी न किसी तरह से खाली (हल्का) होना ही है। यहाँ एक गलतफहमी है- कुछ लोग समझते हैं कि रीलों में घुस कर वे हल्के हो सकते हैं??