सीधी सट्ट -८४३
सीधी सट्ट -८४३
यदि व्यक्ति ईश्वर द्वारा दी गई तार्किक क्षमता का उपयोग अपने व्यावहारिक जीवन में अधिकांश नहीं करता तो ईश्वर स्वयं भी एक हद से ज्यादा उसके परिश्रम और पुरुषार्थ को भाग्य रूपी परिणाम में नहीं बदल सकता। जैसे – यदि किसी के पास उतना धन हो कि वह उससे एक जोड़ा पेंट शर्ट खरीद सकता है लेकिन अपनी इच्छा पर नियंत्रण न रखने के कारण वह एक ही वस्त्र (पेंट या शर्ट) खरीदने में धन खर्च कर दे तो निश्चित ही उसे ऊपर या नीचे से उघड़ा हुआ रहना पड़ेगा। निरंतर ऐसी सोच रखने से उसे दुखों और असुविधाओं का सामना करना पड़ सकता है, जिसके लिए केवल भाग्य को कोसना मूर्खता होगी।