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21 Nov 2025 · 1 min read

मुक्तक

मिलो ऐसे मिले जैसे ,कि धरती और अंबर है।
हिलोरें उठ रहीं दिल में, बड़ा दिलकश ये मंज़र है।
मिले भुज -पाश जो प्रिय के, हिया में चैन आ जाए,
प्रणय की धूप लेकर आ ,गया मीठा दिसंबर है।।

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