मुक्तक
मिलो ऐसे मिले जैसे ,कि धरती और अंबर है।
हिलोरें उठ रहीं दिल में, बड़ा दिलकश ये मंज़र है।
मिले भुज -पाश जो प्रिय के, हिया में चैन आ जाए,
प्रणय की धूप लेकर आ ,गया मीठा दिसंबर है।।
मिलो ऐसे मिले जैसे ,कि धरती और अंबर है।
हिलोरें उठ रहीं दिल में, बड़ा दिलकश ये मंज़र है।
मिले भुज -पाश जो प्रिय के, हिया में चैन आ जाए,
प्रणय की धूप लेकर आ ,गया मीठा दिसंबर है।।