सीधी सट्ट -८४१
सीधी सट्ट -८४१
धर्मालय और मदिरालय में कम से कम एक बात कौमन है और वह है – दोनों मनुष्य को उसके बुरे समय में अधिक आकर्षित करते हैं। दूसरी बात यह भी एक जैसी लगती है कि जब मनुष्य के जीवन का एक सबसे महत्वपूर्ण चतुर्थांश (प्रेम) ज्यों ज्यों विरल/खाली होने लगता है वैसे वैसे वह इन दोनों में से एक की ओर उन्मुख हो सकता है। चयन प्रारब्ध के आधार पर प्रभावित होता है, लेकिन कर्म की भूमिका कम नहीं होती जिसमें स्वयं के बजाय निकटता से जुड़े लोग अधिक सक्रियता से भाग लेते हैं।