जंगल
मैं जंगल हूँ मैं जंगल हूँ मैं जंगल हूँ मैं जंगल हूँ
मैं आदम का मंगल हूँ हां मैं जंगल हूँ मैं जंगल हूँ
गैंडा सारस मगर घड़ियाल, मेरे आँचल रहते हर हाल
खग मृग और हरियल तोता, बगुला चलता हंस की चाल
यहाँ लोमड़ी बिल्ली और चीता, ऊदविलाव तेंदुआ ताल
करें बदमाशी लंगूर ओ वानर, किन्तु गए सब मानव से हार
मत काट मुझे, मत मार मुझे, नहीं तेरा मैं दंगल हूँ
ऊंचे तरुवर आँचल लहराते, गीत सुनाए सोन चिरैया
ठंडी छाँव के संग यहाँ, चले पवन शीतल पुरवैया
कोयल कौआ खंजन गौरैया, करें यहाँ पर त थ थैया
मोर चकोर बटेरे तीतर, पीहू पपीहा आपस में भैया
इनकी चीख पुकार सुनो… नहीं मैं कोई अमंगल हूँ
कुछ तो ईश्वर का भय मन लाओ, मत सिंह शावकों को भड़काओ
अपने समज की की ऐसी की तैसी, जंगल को मत ऐसा बनाओ
करो तरक्की सहयोग करूंगा, मुझसे वसुधा शीतल करवाओ
अवसाद तकनीक के मैं हर लूँगा, सुगंधी औ फल के उपहार लगाओ
गजराज है भड़के अब रुक जाओ, वरना बन जाता मैं संगल हूँ
175 Words