" मातृभूमि ( माँ ) तुझे प्रणाम "
” मातृभूमि ( माँ ) तुझे प्रणाम ”
मातृभूमि ( माँ ) तुझे प्रणाम
उगता सूरज तिलक लगाता
उज्जवल चंद्र किरण की वर्षा ,
नतमस्तक हूँ तेरे चरणों में
तेरे चरणों में चारों धाम |
मातृभूमि ( माँ ) तुझे प्रणाम ||
तेरी माटी शीतल चंदन ,
जिसमें खेले खुद रघुनन्दन ।
जिसमें कान्हा ने जन्म लिया ,
कभी खाई , कभी लेप किया ।
सीता की मर्यादा यहाँ ,
यहाँ मीरा का प्रेम |
मन के दर्पण का तू दर्शन
तेरे आँचल में संस्कृति का मान।
मातृभूमि ( माँ ) तुझे प्रणाम ||
कल कल करती नदियां
अपनी संगीत सुनाए।
चू चू करती चिड़िया
अपनी गीत सुनाए।
मातृभूमि की पावन धरा ,
हर हृदय में प्रेम संजोए
काशी विश्वनाथ की आरती,
हर मन में दीप जलाए |
आध्यात्म की गहराई यहाँ
और विज्ञान की उड़ान |
मातृभूमि ( माँ ) तुझे प्रणाम ||
दिव्य अलौकिक अजर अमर
कंकर भी बन जाता यहाँ शंकर |
बलिदानों की गाथा तू ,
तू वीरों की पहचान |
जय-जय माँ भारती,
जय यह पवित्र धरा महान
मातृभूमि ( माँ ) तुझे प्रणाम ||
~ बाल कृष्ण मिश्रा
मोबाइल : 8700462852
E-mail: bk10mishra@gmail.com
पता: फ्लैट नंबर 253, ग्राउंड फ्लोर,
श्री कृष्णा अपार्टमेंट, जे-2, सेक्टर:16,
रोहिणी:110089
🙏