फूलझरी
आई दिवाली आई दिवाली
मद मस्ती का पर्व निराली
दीप लड़ी है अजब गजब
सज्जा दुकान हर चौराहे
खरीदारों का भीड़ जुटाये
मम्मा कहती यह वह लेलो
यह नहीं वह नहीं मैं लूँगा
मैं तो लूंगा अपनी मर्जी से
लड़ी चिटपिटी अनार बम
फिरकी और फूलझरी लूंगा
रॉकेट मिसाईल स्पार्कलर
पॉपर्स नागिन सुतलीबम
क्रेकर पटक दे मारूँगा
मम्मी पापा कहते इतना
ज्यादा लेकर क्या करोगे
सब मिनटों फूक जाएगा
वायु प्रदूपण हवा जहरीला
विविध पीड़ा का रोग बढ़ेगा
पर्व है रोशन मौज मस्ती का
मम्मा तू क्यों मना करती हो
दीया ज्योत देख लक्ष्मी आती
पटाखों की माँ खर्चा दे जाती
धनदेवी रोशन देख खुशी से
हीरे मोती जवाहारात देकर
जीवन में खुशयाली भरती
स्वच्छ स्वच्छता पर्यावरण
दीप ज्योत से ये समझाती
सावधानी से त्योहार मनाना
नगर बस्ती को रोशन करना
व्यथित हृदय को दे फूलझरी
जगमग जीवन ज्योत जलाना ।
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टी.पी . तरुण