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22 Oct 2025 · 1 min read

फूलझरी

आई दिवाली आई दिवाली
मद मस्ती का पर्व निराली

दीप लड़ी है अजब गजब
सज्जा दुकान हर चौराहे

खरीदारों का भीड़ जुटाये
मम्मा कहती यह वह लेलो

यह नहीं वह नहीं मैं लूँगा
मैं तो लूंगा अपनी मर्जी से

लड़ी चिटपिटी अनार बम
फिरकी और फूलझरी लूंगा

रॉकेट मिसाईल स्पार्कलर
पॉपर्स नागिन सुतलीबम

क्रेकर पटक दे मारूँगा
मम्मी पापा कहते इतना

ज्यादा लेकर क्या करोगे
सब मिनटों फूक जाएगा

वायु प्रदूपण हवा जहरीला
विविध पीड़ा का रोग बढ़ेगा

पर्व है रोशन मौज मस्ती का
मम्मा तू क्यों मना करती हो

दीया ज्योत देख लक्ष्मी आती
पटाखों की माँ खर्चा दे जाती

धनदेवी रोशन देख खुशी से
हीरे मोती जवाहारात देकर

जीवन में खुशयाली भरती
स्वच्छ स्वच्छता पर्यावरण

दीप ज्योत से ये समझाती
सावधानी से त्योहार मनाना

नगर बस्ती को रोशन करना
व्यथित हृदय को दे फूलझरी
जगमग जीवन ज्योत जलाना ।
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टी.पी . तरुण

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