मोंगरे का फूल
मोंगरे का फूल
खुली छत पर,
एक कोने में,
चुपचाप खिला
मोंगरे का फूल।
सफेद, छोटे,
पर खुशबू से लदे,
जैसे सादगी ने
पहना हो आभूषण।
इसे पता है,
जीने का गणित
चाहिए बस थोड़ी
सीधी, सच्ची धूप,
और जड़ों को छूता
ठंडा, गहरा पानी।
तभी यह खुलता है,
पंखुड़ियों में
भरकर वह प्रेम
जो मांगता नहीं हिसाब।
ठीक वैसे ही
जैसे हमारे भीतर का प्रेम
उसे भी चाहिए
नितांत पर्याप्तता
सहृदयता का पानी,
जो सींचता है विश्वास की मिट्टी,
और सादगी की धूप,
जो पारदर्शी रखती है हर गांठ,
हर इरादा।
वरना,
यह फूल मुरझाएगा,
वह प्रेम सूख जाएगा,
बस रह जाएगी
एक सूखी डाली
और हवा में बिखरी
खुशबू की पुरानी याद।
मोगंरा, इसलिए,
केवल फूल नहीं,
यह प्रेम का प्रमाण है
जीने के लिए,
बस जीवित रहने से
कुछ ज्यादा की
लगातार ज़रूरत है।
© अमन कुमार होली