अंतिम प्रेम
नए बाग का माली बनना ए ऋण तेरा स्वीकार नहीं
ए शक्ति साधना ए शक्ति व्यंजन तेरा स्वीकार नहीं
प्रेम तपस्या और करूँ अब इतना शक्ति आधार नहीं
अंतिम प्रेम तुम्हारा था अब और भेंट स्वीकार नहीं
बहुत मिला जीवन पथ में जीवन का अधिकार नहीं
कर्त्तव्य पुकारे पथ का साथी अब उसका विचार नहीं
खिले कलेवर बागों में कितने चैतन्य बिन संसार नहीं
अंतिम प्रेम तुम्हारा था अब और भेंट स्वीकार नहीं