अपूर्णता
तुम ऐसे ही उम्र में बड़े हो जाओगे,
अगर तुम नहीं सचेत हुए ,तो तुम्हारा अहंकार तुम्हारी बुद्धि का उपयोग व्यर्थ का कुतर्क करने में माहिर होता जाएगा।
तुम बड़े बनोगे सिर्फ धन, दौलत, पद ,प्रतिष्ठा साथ अहंकार से भी।
तुम्हारे पास चंद रुपया आएगा,
फिर तुम्हारी और ज्यादा चंद रूपए वालों से पहचान होगी।
फिर तुम और चंद के पीछे भागोगे।
भागों जितना हो सके भागों, निकल भी जाओ आगे सबसे अहंकार में भी इतना भागों।
जब तुम्हारी देह का अंत होगा ,
जिसमें तुम्हे भगाया है उसका नहीं।
शरीर थक गया लेकिन पाओगे कि भगाने बाला नहीं।
अंत तुम्हारा इसी कशिश में होगा कि काश और भाग लेता,
अंत इसी बेचैनी में होगा कि काश कुछ और जीवित रह लेता।
मिला था अवसर पूर्ण , आनंद, का लेकिन तुम्हे अपूर्णता से मोह था।
तुम अपूर्ण थे और ऐसे ही रहोगे,
अंततः अंत तुम्हारा इसी अपूर्णता के साथ होगा।
तुमको जो हो जाना चाहिए था वो तुम नहीं हुए,
उत्कंठा, उत्कृष्टा, जिज्ञासा, खुद के प्रति कर सकते.. नहीं किए।
अपूर्णता को पूर्णता से बदलने का विकल्प मिला.. नहीं लिए,
अब जो है उसका कारण चुनाव है तुम्हारा जो तुम लिए।
~ यथार्थ