*सर्दी आई सर्दी आई*
सर्दी आई सर्दी आई,
खाओ रोटी ओढ़ो रजाई।
बहुत अच्छी लगती धूप,
सूरज का देखो बदला रूप
मन करता मामा के घर जाने को
गरम हो पानी नहाने को
दो मां रोटी खाने को
मन नहीं करता नहीं कर जाने को
सर्दी आई सर्दी आई,
खाओ रोटी ओढ़ो रजाई।
बहुत अच्छी लगती धूप,
सूरज का देखो बदला रूप
मन करता मामा के घर जाने को
गरम हो पानी नहाने को
दो मां रोटी खाने को
मन नहीं करता नहीं कर जाने को