प्रेम भाव
प्रेम भाव
धाम घरा हिम कैलाशी
घर में ही देवी देवों का वास
करें परिक्रमा निज माँ पिता का
प्रेमभाव से हंसो बोलो मिलो जुलो
सद्कर्म से मिटाओ मन की उदासी
घर परिवार समाज नगर देशवासी
सब हैं प्रेम ममता स्नेह का बनवासी
प्रेम सरकार अमृत भरा भाव ही
समझा देगा जग में … ?
क्या ! मथुरा क्या वृंदावन काशी ॥
टी.पी .तरुण