Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
26 Sep 2025 · 1 min read

कोई बात न बढ़ती,

कोई बात न बढ़ती,
अगर जबान न चलती,

फूल झरते होते,
यदि मीठा बोले होते,
आग तो लगा दी,
कङूवे शब्द जो सुना दी।

कोई बात न बढ़ती,
अगर जबान न चलती,

तनिक काबू में तो करती,
कैची सी न चलती,
ऊंची न बोलती,
कर्कश न होती।

कोई बात न बढ़ती,
अगर जबान न चलती,

अपनी बात तुम कहती,
लहजा को पकड़ती,
मन बुद्धि से बोलती,
ईर्ष्या से न कहती।

कोई बात न बढ़ती,
अगर जबान न चलती,

तुम्हारी भी चलती,
हमारी भी चलती,
आहिस्ता से बोलते,
आहत तो न होती।

कोई बात न बढ़ती,
अगर जबान न चलती,

अच्छा तुम भी बोलो,
अच्छे से भी बोलो,
चाबुक सा न मरो,
उलझन में न डालो।

कोई बात न बढ़ती,
अगर जबान न चलती,

बात कहने से पहले,
जबान को सुलझा लो,
क्या कह रहे हो,
ज्ञान को जगा लो।

कोई बात न बढ़ती,
अगर जबान न चलती,

अफसोस मै न करता ,
अफसोस तुम न करते,
दुःखी कोई न होता,
यदि ठहर तुम जाती।

रचनाकार
बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर।

Loading...