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26 Sep 2025 · 1 min read

हमने तुझसे मांगा ही क्या था ए खुदा !

हमने तुझसे मांगा ही क्या था ए खुदा !
अपनी खुद्दारी और खुद मुख्तारी की हिफाजत मांगी थी ।
वो भी न दे सके तुम एक हक हलाल की कमाई ,
अब हो गए हैं मोहताज ,ऐसी गिजा तो न चाही थी ।
यह कैसी राहों पर बदनसीब जिंदगी मेरी आ गई ।

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