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23 Sep 2025 · 1 min read

हाथों को रोशन करे ऐसा फूल नहीं मिला

हाथों को रोशन करे ऐसा फूल नहीं मिला
कोई राही यहां हमको मकबूल नहीं मिला

राहों में बाटी कई अधूरी मोहब्बतें हमने
ब्याज का छोड़िए जी हमें मूल नहीं मिला

कवि दीपक सरल

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