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18 Sep 2025 · 1 min read

सफ़र जिन्दगी का

कुण्डलिया
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सफ़र जिन्दगी का सदा, अविरल जलता खूब।
समय मिले जब भी कभी, जाएं इसमें डूब।
जाएं इसमें डूब, देख लें दुनिया सारी।
नये लोग और स्थान, मिलेंगे बारी-बारी।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, पर्यटन इधर से उधर।
नैसर्गिक आनंद, के लिए नित्य हो सफ़र।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, १८/०९/२०२५

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