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13 Sep 2025 · 2 min read

जहां अन्याय या अत्याचार हो वहां प्रतिरोध अवश्य होगा का० शंकर गुहा नियोगी

शहीद कामरेड शंकर गुहा नियोगी जी की✍️ कलम से
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जहां अन्याय या अत्याचार हो वहां प्रतिरोध अवश्य होगा।
साथियों,,
लाल जोहार
बात छोटी सी थी। एक आदिवासी किसान एक रोज यूनियन दफ्तर में आकर रोने लगा और बोला कि वह और उसके साथी सूखी जलाऊ लकड़ी का ग‌ट्ठा सिर पर ढोते हुए ला रहे थे, तब जंगल विभाग के एक अधिकारी ने उन्हें मारपीट कर उनसे जलाऊ लकड़ी का ग‌ठ्ठा छीन लिया और हाथों-हाथ दूसरों को वह लकड़ी बेच दी। कल हरियाली त्यौहार का दिन है- किसान का पहला त्यौहार और हमें भूखा रहना होगा।”
युनियन कार्यकर्ता ने पूछा “अब वह जंगल अधिकारी कहां मिल सकेगा?” आदिवासी किसान ने जवाब दिया वह तो शराब पीकर बस्ती में मस्ती कर रहा है। यूनियन के कुछ साथियों ने आदिवासी किसान के साथ घटना स्थल पर जाकर घटना की जानकारी हासिल की एवं राजहरा पुलिस स्टेशन जाकर सिटी सुपरिंडेंट आफ पुलिस (सी. एस. पी.) से सम्पर्क किया। पुलिस पहले तो आनाकानी करती रही पर यूनियन के दबाव से घटना स्थल पर गई एवं जंगल अधिकारी को गाड़ी में बैठाकर ले आयी। फिर भी आदिवासी की समस्या के ऊपर चर्चा नहीं हो पायी। कारण यह था कि उस समय अधिकारी को पेश होने के लिए अपने बंगले जाना जरूरी था।
दूसरे दिन पुलिस स्टेशन पर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई। आदिवासी ने आरोप लगाया कि जंगल अधिकारी ने उससे 5/- रूपये प्रति गट्ठा मांगा न देने पर उसने पूरा गट्ठा छीन लिये।
जंगल अधिकारी :- “इस आदमी ने जंगल का नुकसान किया था। हमें पर्यावरण की सुरक्षा को भी देखना है। हम तो इस पर केस भी चला सकते थे।”
ट्रेड यूनियन:- “क्या 5/- रु. देने पर गट्ठा कानून बन जाता ?”
जंगल अधिकारी:- “यह 5 रु. का आरोप गलत है।”
सीएसपी पुलिस:- “किसी के ऊपर गलत आरोप नहीं लगाने चाहिए।”
ट्रेड यूनियन:- “इलाके के सारे जंगल गायब हो गये हैं। आारा मिल वाले, ठेकेदार लोग, राजनैतिक पार्टी के नेतागण मिलकर ट्रकों में लादकर जंगल की सारी इमारती लकड़ियाँ चाट गये। उस समय पर्यावरण का नुकसान नहीं हुआ ? गैर-कानूनी काम नहीं हुआ। आपके सारे कानून आदिवासियों एवं गरीबों के ऊपर ही बोझे की तरह लदे हुए हैं। कानून के रक्षक अगर अब जंगल इलाके के ग्रामीणों में असुरक्षा पैदा करेंगे तो हमें जन आंदोलन के जरिये जंगल एवं आदिवासियों की सुरक्षा करनी होगी।”
और उस दिन से हमारी ट्रेड यूनियन ने एक चुनौती स्वीकार की, जिस पर आगे चलकर ट्रेड यूनियन ने अपनी एक नयी शाखा का निर्माण किया। इस शाखा ने “अपने जंगल को पहचानो” का नारा लेकर एक नये आंदोलन की शुरुआत की।
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लाल जोहार
राम चरण नेताम
छत्तीसगढ़ माईंस श्रमिक संघ
छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा
दल्ली राजहरा

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