#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
साथ ख़यालो को ले चलो।।
(प्रणय प्रभात)
* सीने में ज़ख्म पांव में छालों को ले चलो।
लंबा सफ़र है साथ ख़यालो को ले चलो।।
* मशगूल दिल को ये ही रखेंगे सनद रहे।
छोड़ो जवाब साथ सवालों को ले चलो।।
* आगे तो अंधेरों से मुहब्बत है तय जनाब।
कुछ दूर साथ अपने उजालों को ले चलो।।
* इस रहगुज़र में कितने परिंदे हैं आस में।
मुट्ठी में अपने चंद निवालों को ले चलो।।
* लंबा सफ़र है साथ में सामान कम ही हो।
साथी न साथ हो तो रिसालों को ले चलो।।
* अच्छे सफ़र में भीड़ बुरी है ये मान कर।
कुछ ग़मगुसार चाहने वालों को ले चलो।।
* मंज़िल पे पहुंचने की अगर दिल में चाह हो।
रहबर बना के संग मिसालों को ले चलो।।
ज़हनों में तीरगी है तकाज़ा है क़ल्ब का।
सब छोड़ के यहीं पे मशालों को ले चलो।।
संपादक
न्यूज़&व्यूज
श्योपुर (मप्र)