( छत्तीसगढ़ी-हास्य-व्यंग्य -आफिस कल्चर )
( छत्तीसगढ़ी-हास्य-व्यंग्य -आफिस कल्चर )
का फ़रक हवय गा हमर सेन्ट्रल अउ राज्य सरकार के नौकरी म,
एक आफ़िस महल कस दिखथे,दुसर चलथे निच्चट झोपड़ी म।
सेन्ट्रल वाले मन ला भांटो अपन तन्खा उप्पर बड़ अभिमान होथे,
पर स्टेट वाले मन बर महीना के तन्खा केवल एक अनुदान होथे।
सेन्ट्रल आफिस म दस से छय काम के समय कड़ाई से लागू होथे,
वहीं जम्मो स्टेट् कार्यालय म असली काम छय के बाद चालू होथे।
सेन्ट्रल कर्मचारी अधिकारी बपरा मन कार्यक्षेत्र से सीधा घर जाथे,
जबकि स्टेट वाले बहुत झन मन हा पहली भोलेसंकर के दर जाथे।
स्टेट के अधिकार कर्मचारी दूसर के पैसा ला देखते इज़्ज़त से ,
वहीं सेन्ट्रल वाले अपन सुख शांति के रद्दा ला देखते इज़्ज़त से।
बहुत से स्टेट कर्मचारी मन हा गा जेल के हवा से रिश्ता बनाय हे,
सेन्ट्रल कर्मचारी पेट काटके बचत करे के कला से रिश्ता बनाय हे।
जादा सरकारी ऑफिस के गुन गाहू तो उमन मारे बर आ जाही,
पर उनला पता नइ हे मोर बेटा हे कांग्रेसी अउ मे हवं भाजपाई।
( डॉ संजय दानी दुर्ग )