*ज्यादा सीधा ठीक नहीं है*
ज्यादा सीधा ठीक नहीं है
ज्यादा सीधा ठीक नहीं है, कमजोर समझा जाता है।
पेड़ भी जो होते हैं सीधे, पहले उन्हें ही काटा जाता है।
कील भी आपने देखी होगी, पहले सीधी ठोकी जाती है।
सीधे के कारण ही देखो, बकरे की बलि चढ़ाई जाती है।
समझने वाले समझ जाते हैं, सिंह का सामना ठीक नहीं है।
ज्यादा सीधा ठीक नहीं है।।१।।
सीधे को लोग समझे पागल, सब फायदा उठाए जाते हैं।
सीधे लोग सीधेपन के कारण ही, मोहरा मनाये जाते हैं।
सही समय पर खुलकर बोलो, तुम भी किसी से न घबराओ।
अपनी बात सही समय पर, निडर होकर सबको बतलालो।
जैसे को तुम बन जाओ तैसे, मूक बधिर भी ठीक नहीं है।
ज्यादा सीधा ठीक नहीं है।।२।।
स्पष्टता रखो बातों में तुम, तुम किसी से कम नहीं।
गलत का झुकना सहज सरल है, सही को झुका दे दम नहीं।
अपने तक न बात रखो तुम, बात को सार्वजनिक बनाओ।
दुष्यन्त कुमार लिखता सच्चाई, मांँगना अपना देकर भीख नहीं है।
ज्यादा सीधा ठीक नहीं है।।३।।