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5 Sep 2025 · 1 min read

*साम्ब षट्पदी---*

साम्ब षट्पदी—
05/09/2025

यज्ञशाला।
प्रचार करते,
जलाकर होम ज्वाला।।
लोगों का इंतजार करते।
मदिरालय में बैठे गद्दीदार,
बिना प्रयास हर तिजोरियां भरते।।

मधुशाला।
देखी जाती बाला।।
अंधानुकरण जारी।
बढ़ गई अब ठेकेदारी।।
हर आयु में करते नशापान।
सरकार नहीं चाहती है नुकसान।।

मधुबाला।
बेटी गरीब की।
अभावग्रस्त जीवन,
जन्मी फूटे नसीब की।
हरदम कली ही रौंदी जाती है,
साकी बनकर बाँट रही मद प्याला।।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)

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