बहुत प्रतीक्षा
कुण्डलिया
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बहुत प्रतीक्षा हो गई, आ जाओ मन मीत।
व्यर्थ देखिए कीमती, समय रहा है बीत।
समय रहा है बीत, दूरियां सही न जाए।
एक एक क्षण आज, काटने को ज्यों आए।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, दे चुके बहुत परीक्षा।
टूट रहा है धैर्य, हो गई बहुत प्रतीक्षा।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य