समय
आज मैं फिर भाग रहा हूं, किससे और किसके लिए?
शायद स्वयं से स्वयं के लिए।
मैं एकांत के पीछे भाग रहा हूं या चुनौतियों से भाग रहा हूं।
भागने से होगा क्या? क्या होगा न भागने से भी?
मैं नहीं भागूंगा तो भी कोई है जो भागेगा,
वो (समय) भाग रहा है, पर मैं नहीं।
ठहराव अच्छा है, अगर सही व्यस्तता के तले हो।
लेकिन ठहराव बहाना भी तो है , खुद को व्यस्त बताने का,
गलत व्यस्तता जीवन को नीरस बना देती है,
और नीरस जीवन भी,कोई जीवन होता है ?
कोशिश कर रहा हूं तेरे बहाव में सही व्यस्तता खोजने की,
कोशिश कर रहा हूं तेरे बहाव में सही चुनौती खोजने की,
कोशिश कर रहा हूं तेरे बहाव में सही एकांत खोजने की,
मैं तेरे बहाव में जाग्रत जीवन चाहता हूं।
मैं तेरे बहाव में एक जीवन युक्त आनंद चाहता हूं।
मैं तेरे बहाव में खो जाऊ उससे पहले मैं तुम्हे समझना चाहता हूं।
~ यथार्थ