बाप की कुछ सिसकियां ,दिखती कभी किसको कहाँ।
बाप की कुछ सिसकियां ,दिखती कभी किसको कहाँ।
बेबश रहा बस बाप ही तो, पीड़ा छिपा जीता जहाँ।।
प्रियदर्शिनी राज
बाप की कुछ सिसकियां ,दिखती कभी किसको कहाँ।
बेबश रहा बस बाप ही तो, पीड़ा छिपा जीता जहाँ।।
प्रियदर्शिनी राज