मुक्तक
मुक्तक
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दूरियां हैं बहुत अब घटा दीजिए।
चाहतें कब हुई कम बता दीजिए।
आवरण व्यर्थ है भ्रम सघन बीच में।
धुंध को अब स्वयं ही हटा दीजिए।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि.प्र.)
मुक्तक
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दूरियां हैं बहुत अब घटा दीजिए।
चाहतें कब हुई कम बता दीजिए।
आवरण व्यर्थ है भ्रम सघन बीच में।
धुंध को अब स्वयं ही हटा दीजिए।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि.प्र.)