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23 Aug 2025 · 1 min read

आंखों के परदे से जानो, दिखता है जो सज ना मानो ,

आंखों के परदे से जानो, दिखता है जो सच ना मानो ,
दिखने में तो बात अलग है ,पर राही किरदार अलग है

बे मौसम सब पतझड़ है ,सावन की यहां बात अलग है
देखें सरल कई अब मंजर , हर मौसम का राग अलग है

✍️कवि दीपक सरल

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