राधा का मोहन
राधा से मिलने की बातें है करता…
और माखन चुराकर भी खाने लगा है।।
यमुना किनारे है बंसी बजाता…
बरसाने में भी वो जाने लगा है।।
गोकुल की गलियों में रास रचाता …
गोपियों को भी देखो सताने लगा है।।
बरसाने की भूमि पर है स्वर्ग जैसा …
वो गायों को देखो चराने लगा है।।
राधा के गुस्से से भी है डरता…
राधा को अब वो मनाने लगा है।।
राधा को अपनी दुनिया बनाकर…
खुद को वहीं अब बसाने लगा है।।
इस प्रेम कहानी को सुनकर हे कान्हा,
“राही” भी राधे राधे गाने लगा है।।
✍️✍️Kavi Dheerendra Panchal [ Raahi ]