खुशी मेरी
खुशी मेरी का तुमसे नहीं कोई सरोकार।
तेरे बिना अब हम भी ख़ुश हैं न सरकार।
न पलकें बिछेगी ,न राह तकूंगी मैं तोअब
क्योंकि अब नहीं है जानां, तुम्हारा इंतजार ।
पता नहीं कब कैसे ,आ गई तेरी बातों में
समझ अब आया , इश्क़ चीज़ ही है बेकार।
ढूंढती हूं मैं खुशियां ,अब अपने ही अंदर
क्या पता कब मिले और हो जाए बेड़ा पार।
किसी को अपना बनाना,और फिर तोड़ते जाना
दस्तूर दुनिया का है ,मगर तू न हो बेज़ार
सुरिंदर कौर