तुम ही तो हो न
तुम्हें अच्छे से जानती हूँ भैया,
खूब पहचानती हूँ भैया ।।
तुम ही तो हो न
जो दूध, फल, सब्जियाँ,
गली-घर तक लाते हो।
कैब,बस, रिक्शा ड्राइवर बन,
मुझे मंजिल तक पहुँचाते हो ।।
दफ्तर में मातहत हो या बॉस,
या साथी, तुम्हारी ही अभिरक्षा है ।
सिवा तुम्हारे कौन भला,
जो कर सकता मेरी रक्षा है ।।
आजन्म बाप-भाई बन,
घर में बेटियाँ पालते हो।
गर पाँव में फाँस गड़ी तो,
अपने दाँतों से निकालते हो।।
फिर अब क्या हुआ ॽ
बड़ी हुई बाहर क्या निकली,
नियत तुम्हारी बदल जाती है ।
घर की बेटी-बहन अपनी,
और परायी पर नज़रें फिसल जाती है।।
आओ रक्षाबंधन याद दिला दूँ,
याद करो अपना संकल्प।
जीवन भर खुला रहता है,
रक्षा का सदा विकल्प।।
न माँएँ कोख को कोसेंगी,
न तुमको कहेंगी अभागे ।
याद दिलाएगा हमेशा ,
ये रक्षाबंधन के धागे ।।
चलो वचन दो हर हालत में,
बेटियों की लाज बचाओगे।
रहती दुनिया तक बेटों का,
नाम अमर कर जाओगे।।
किसी भी महिला के पिता,पति हो,
या भाई, नेता, साहूकार।
चाहे पढ़ते या पढ़ाते,
या चलाते हल, पतवार ।।
हालात के मारे ठेला चलाते,
या रेहड़ी, खोमचा, जूस।
इस दुनिया को दुष्कर्म से,
केवल बचा सकता है, एक पुरुष ।।
उसके कोई भी पद-रूप हो,
रिश्तेदार या आम इंसान।
बस एक तुम्हीं, हाँ, एक तुम्हीं हो जो,
रोक सकते हो दुष्कर्म रूपी शैतान।।
तुम रक्षा के जीवंत जागरण,
दिखा दो रक्षा, धर्म, दया ।
बस याद रखो, प्रण कर लेना भैया,
फिर कोई बने न निर्भया।।
रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं… 💐💐💐🙏🙏🙏