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4 Aug 2025 · 1 min read

मुंह चमकी

मुंह चमकी

बेच के आपन इज्ज़त आबरू;
बताबऽ केकर लेल गाबा तारू।
तोहर, बानर जऽसन मुख बा;
बताबऽ मोदी से का दुःख बा।
ऐसे नाचे-गावे से कुछो न होई;
तोहर,सातों पुस्त देखिहो रोई।
तू बनरी,नाचऽ खूब छम-छम;
राष्ट्र पुष्प कमल रहिएं हरदम।
तू फूल कनेल बारु, रे छमकी;
जा बनत फिरऽ तू,मुंह चमकी।

✍️pk

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