*भंडारे की पूड़ी जाने, किस-किस ने है खाई (गीत)*
भंडारे की पूड़ी जाने, किस-किस ने है खाई (गीत)
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भंडारे की पूड़ी जाने, किस-किस ने है खाई
1)
जाना-अनजाना जो आया, तृप्त उसी की काया
भंडारे में सौंपी प्रभु को, दाता ने प्रभु-माया
जो धन है वह सब समाज का, समझ बात यह आई
2)
सब ने हलवा सहित भोज सब, एक पंक्ति में पाया
ऊॅंच-नीच का भेद नहीं कुछ, भंडारे में आया
धन्य-धन्य भंडारे वाली, जिसने रीति चलाई
3)
आओ चलते हैं भंडारा, महाजनों का खाने
धनी और निर्धन सब आओ, भोजन-पर्व मनाने
देखें भंडारी विनम्र ने, कितनी करी कमाई
भंडारे की पूड़ी जाने, किस-किस ने है खाई
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451