कुण्डलिया
!! श्रीं !!
सुप्रभात!
जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
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कुण्डलिया
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पिटता पर माने नहीं, ऐंठ न तेरी जाय।
चलता टेढ़ी चाल तू, समझ न तुझको आय।।
समझ न तुझको आय, टूट कर अक्ल न आई।
झाँक गिरेबाँ देख, हाल क्या तेरा भाई ?
‘ज्योति’ न बदले भाग्य, व्यर्थ तू सिर को घिसता।
सोच अरे नादान, सदा क्यों तू है पिटता ।।
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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