भोले के दरबार में
भोले के दरबार में, पहुँचे जो भी व्यक्ति।
होती प्रभुवर की कृपा,जगती उर में भक्ति।
जगती उर में भक्ति,कर्म उत्तम तब भाते।
मिटते हृदय विकार,कष्ट भी गुम हो जाते।
हर्षित हो तब भक्त,जयति जय भोले बोले।
लखकर पावन दृश्य,भक्त में खोते भोले।।
डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम