लक्ष्मीबाई बनीं शौर्य -यशरूपी अंबर
अंबर -सा ऊॅंचा किया बुंदेलों का नाम।
झाॅंसी -रानी ने लड़ा अमिट राष्ट्र संग्राम।।
अमिट राष्ट्र संग्राम वीर रस *शमा हो गया।
बच्चा बच्चा कहे कीर्ति -ध्वज जवाॅं हो गया।।
कहें “बृजेशाचार्य” वीरता हुई समुंदर।
लक्ष्मीबाई बनी शौर्य -यशरूपी अंबर।।
शब्दार्थ
*शमा= प्रकाश ।
“शमा का अरबी में अर्थ है “लौ या प्रकाश”
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👉संपर्क सूत्र
पं बृजेश कुमार नायक
एम.ए.हिंदी, साहित्यरत्न,भारत गौरव, विद्यावाचस्पति, विद्यासागर,हिंदी-सागर, प्रेम-सागर,जालौन-रत्न,राष्ट्रभाषा आचार्य
निज-निवास
G 122, सनफ्रान अशोक वैली, झाॅंसी,
उत्तर प्रदेश, भारतवर्ष, पिनकोड- 284128
“मुस्तरा रेलवे स्टेशन के नजदीक”
👉 उक्त रचना, मेरी कृति “नायक जी की कुंडलिकाएं” की रचना/कुंडलिया है।
👉उक्त कुंडलिया को मेरी कृतियों “गीत गुंजन” और “नायक जी के लेख” के “कवि- परिचयों ” में भी पढ़ा जा सकता है।
👉उक्त तीनों कृतियाॅं अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध हैं।
👉पं बृजेश कुमार नायक “हिंदी कवि” विश्व प्रसिद्ध योगी और अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक संस्था आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक सद्गुरु श्री श्री रविशंकर के शिष्य हैं।