*सच पूछो तो आप कौन हैं, यह भी याद नहीं है (हिंदी गजल)*
सच पूछो तो आप कौन हैं, यह भी याद नहीं है (हिंदी गजल)
_________________________
1)
सच पूछो तो आप कौन हैं, यह भी याद नहीं है
बहुत दिनों से हम लोगों में, कुछ संवाद नहीं है
2)
सबके हाथों में मोबाइल, वैसे तो अच्छा है
लेकिन कौन बताओ इससे, अब बर्बाद नहीं है
3)
वोट-बैंक की राजनीति ने, ऐसा बुरा किया है
गॉंवों से लेकर शहरों तक, अब आह्लाद नहीं है
4)
कैसे स्वाद मिलेगा सब्जी, फल अनाज में बोलो
असली वाली जब खेतों में, कोई खाद नहीं है
5)
गरम कचौड़ी गंगाफल हो, और रायता आलू
भंडारे वाले भोजन-सा, जग में स्वाद नहीं है
_________________________
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451