भाल सोम मनहर लगे, गले भयंकर नाग।
भाल सोम मनहर लगे, गले भयंकर नाग।
ध्यान मग्न भोले सुनो, भक्ति भरा अनुराग।।
कर त्रिशूल, डमरू गहे, महादेव मम नाथ।
शरण तुम्हारी गह चला, रखिए सिर पर हाथ।।
शिव-शंकर की जो कृपा, बनते बिगड़े काम।
धन-वैभव, यश, कीर्ति से, मिलता है आराम।।
:- राम किशोर पाठक