...हमारा क्या है
जो है ज़ालिम वो है सरदार हमारा क्या है
है वही ताज का हक़दार हमारा क्या है
हर जगह ज़ुल्म की जयकार हमारा क्या है
हम तो ख़ामोश हैं लाचार, हमारा क्या है
अब सड़क तो है सड़क घर भी नहीं हैं महफ़ूज़
हर जगह आपकी सरकार हमारा क्या है
अब क़लम ज़ुल्म की चौखट पे झुकी रहती है
जब मुसन्निफ़ हैं रियाकार हमारा क्या है
वक़्त इस दौर में तुम पर ही करम फ़रमा है
तुम हो हर चीज़ के हक़दार हमारा क्या है
तेरी दुनिया है, हिफ़ाज़त भी तुझे करनी है
हम तो हैं बे बस’ओ लाचार हमारा क्या है
नाव जीवन की तू ही पार लगा सकता है
तेरे हाथों में है पतवार हमारा क्या है
जानते हैं कि ख़ुदा दिल में बसा है ‘अरशद’
तुम भटकते रहे बेकार हमारा क्या है