नये सफर की शुरुआत में अनगिनत क्रुर इल्जामों का खंडन किया है,
नये सफर की शुरुआत में अनगिनत क्रुर इल्जामों का खंडन किया है,,
कुछ शब्दों से,, कुछ तर्को से,,तो कुछ विरोधो से हमने प्रतिकार किया है।।
दुर्गम राह चुने है हम, साथ न कोई चल सकता ।
जिनसे बंधी थी उम्मीदों की डोर ,,उन्होंने भी हमारा रास्ता ही रोका।
वह समय था विपरीत हमारे,, तभी साजिश- ए – जमाना चल गया।।
ईश्वर के सहारे थे हम,इसलिये हमारा नौका संभल गया।।
पग-पग पर हमारे समक्ष चालाकियों का जाल फैला था,,
अंधेरा इतना घना था कि हर राह दिखता धुंधला था।।
निराशाओं से घिरे थे हम दुःख की काली घटा छायी थी।।
पास नहीं कोई संभालने वाला हर तरफ उम्मीदें धोखा खाई थी।।
नये सफर की शुरुआत में अनगिनत क्रुर इल्जामों का खंडन किया है,,
कुछ शब्दों से,, कुछ तर्को से,,तो कुछ विरोधो से हमने प्रतिकार किया है।।
डगमगाते रहे थके कदम हमारे,,
ना जाने कौन सी शक्ति थाम रखी,,
अश्रु से भरे नैत्रो ने परमात्मा से आस लगा रखी।।
ना रुकने का संकल्प था इसी वजह से कदम आगे बढ़ते रहे,,
हम कहाँ, विचार कहाँ इन सबमें हम उलझते रहे।।
जब नित्य पतन होने लगा तब आशाएँ भी फिकी पड़ने लगी,,
कहाँ तक हम धीरज रखते हिम्मत की डोर टूटने लगी।।
नये सफर की शुरुआत में अनगिनत क्रुर इल्जामों का खंडन किया है,,
कुछ शब्दों से,, कुछ तर्को से,,तो कुछ विरोधो से हमने प्रतिकार किया है।।
अनचाहे से कुछ उलझे सवाल रह रह कर झुंझलाते है,,
जवाब ढूँढ़ने की कोशिश में हम और भी फँसते चले जाते हैं,,
पहेलियों की गुत्थी की तरह जीवन की चुनौतियाँ इतराती है,,
जब भी हमको खुश देखती रुलाने के बहाने लेकर वापस आ जाती है।।
कब तक हम जिंदगी में यूँ हि पुराने अफसाने दोहरायेंगे,,
जिंदगी कुछ तो नई खुशियाँ दे ताकि तेरे भी गीत हम गायेंगे।।
नये सफर की शुरुआत में अनगिनत क्रुर इल्जामों का खंडन किया है,,
कुछ शब्दों से,, कुछ तर्को से,,तो कुछ विरोधो से हमने प्रतिकार किया है।।