नई सुबह ( अनुभव )
नई सुबह 🌅
चुप थे कल के अंधेरे, अब रोशनी की बात करो,
टूटे ख्वाबों को जोड़ो फिर, दिल से नई शुरुआत करो।
ओस की बूंदों में देखो, एक सुकून छुपा हुआ,
हर कांटा भी कहता है, गुलाब साथ खिला हुआ।
चलो नयी राह पर चलें, जहां उम्मीदें बसती हैं,
हर गिरावट सिखाती है, ऊँचाई में मस्ती है।
सूरज जैसे बढ़ो निरंतर, छांव को भी साथ लिए,
हर सवेरा कहता है तुमसे —
“खुद को फिर से आज जिए।”
जितेश भारती ✍️📜