मेरी कलम से निकली विचारों की गंगा
मेरी कलम से निकली विचारों की गंगा
धर्म की राह चल सर्वोच्च ऊंचाई तक जाएगी
बुराइयों से लड़कर, सारी कमियों से भिड़कर
भ्रष्टाचार के पहाड़ से भी टकराएगी
मेरी कलम से निकली विचारों की गंगा
धर्म की राह चल सर्वोच्च ऊंचाई तक जाएगी
बुराइयों से लड़कर, सारी कमियों से भिड़कर
भ्रष्टाचार के पहाड़ से भी टकराएगी