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31 Oct 2020 · 2 min read

परिवर्तन

बहुत उकता गया था में अपनी पुरानी आदतों से
सोचा क्यूं ना कुछ नया करें
खुद में थोड़ी सी तपदीली करें
फिर शुरू हुईं मेरी कोशिशें
कुछ हद तक मिली मुझे कामयाबी
बदल लिया मैंने खुद थोड़ा, पहले से
फिर एक दिन मिला मैं
अपने एक पुराने दोस्त से
बहुत खुश हुआ मुझे देखकर
कहने लगा काफी बदल गए हो
चलो अच्छा है वक़्त के साथ बदलना
मुझे भी खुशी हुई कि मेरा दोस्त खुश है
मुझमें यह परिवर्तन देखकर

मैंने सोचा परिवर्तन लोगों को पसंद आता है
तो क्यूं ना खुद को थोड़ा और बदला जाए
फिर से शुरू हुई मेरी जद्दोजहद
काफी वक़्त लगा मुझे बदलने में
इस बार बिल्कुल ही बदल डाला मैंने खुद को
पहले से एक दम अलग एक दम नया
कहीं से नहीं लगता था
अब पहले जैसा मै
मै काफी खुश था कि बदल गया मैं

फिर एक पुराने दोस्त से मिला मैं
मैंने उससे कहा और सुनाओ कैसे हो
वो खामोश खड़ा रहा
मुझे हैरानी से देखता रहा
मैंने पूछा ऐसे क्या देख रहे हो
दोस्त बोला माफ करना
मैंने आपको नहीं पहचाना
मैंने उसे याद दिलाने की बहुत कोशिश की
मैं हूं तुम्हारा पुराना दोस्त “अर्श”
उसने कहा नहीं “अर्श” तो ऐसा नहीं था
वो तो बिल्कुल भी ऐसा नहीं था
तुम तो कोई और हो
उसने कर दिया इनकार मुझे पहचानने से

मै उदास बहुत उदास हुआ
वापस घर लौट आया
मुझे बेहद अफसोस हुआ
की मेरा दोस्त मुझे भूल गया
मगर मैं गलतफहमी में था
नहीं भुला था मेरा दोस्त मुझे
बल्कि मैं ही खुद को भूल गया था
क्यूंकि कोई समानता नहीं थी
कल के और आज के मुझमें
जिसके आधार पर मुझे कोई पहचान सके ….

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