बाँध लिया इंसान है, स्वार्थ कामना डोर।
बाँध लिया इंसान है, स्वार्थ कामना डोर।
देख अँधेरा रो रहा, मिले न सुख का भोर।।
:- राम किशोर पाठक
बाँध लिया इंसान है, स्वार्थ कामना डोर।
देख अँधेरा रो रहा, मिले न सुख का भोर।।
:- राम किशोर पाठक