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30 Jun 2025 · 1 min read

ग़ज़ल

ग़ज़ल
जो रुख़ पे उसके तिल है, बेमिसाल है कमाल है
कि शह्र-ए-हुस्न का वो कोतवाल है, कमाल है

वो जैसे दश्त¹ का कोई ग़ज़ाल² है, कमाल है
कि शह्र में मचा हुआ धमाल है, कमाल है

सितारों से चमक रहे हैं झुमके उसके कान में
ये अबरू³ जैसे चर्ख़⁴ पर हिलाल⁵ है, कमाल है

शबाब का है बोझ यूं झुकी झुकी निगाह है
झुकी है फूल फल से जैसे डाल है, कमाल है

‘अनीस’ आई है उतर के जैसे कोह-ए-काफ़⁶ से
दयार-ए-दिल⁷ में इक परी-जमाल⁸ है कमाल है
-अनीस शाह अनीस
1.जंगल 2.मृगशावक 3.भौहें 4.आसमान 5.दोज का चन्द्रमा 6.वह काल्पनिक पहाड़ जहां परियां रहती हैं 7.दिल का घर 8.परियोंसे से सौन्दर्य वाली

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