इंतजार में तेरे वक्त लंबा गुजार दिया ।
दोस्तों,
एक स्वतंत्र ग़ज़ल आपकी मुहब्बतों की नज़र,,,,,!!!
ग़ज़ल :- इंतजार में तेरे,वक्त लंबा गुजार दिया।
इंतज़ार में तेरे, वक्त लंबा गुजार दिया,
गर थी मुहब्बत तो क्यों इंतजार दिया।
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मुझको न रही खुद की ख़बर चाहत में,
तुम ने सनम हमें जख़्म बेशुमार दिया।
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मैं बै’रागन बनी प्यार में, तेरे इस तरहा,
तुमने मुझे थोड़ा सा न अधिकार दिया।
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दिन रात यादों में तेरी कैसे बिताई मैंने,
इक मुलाकात ने तेरी कर बिमार दिया।
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उफ्फ ये प्यार ये मुहब्बत कैसा नशा है,
जालिम ने जीते जी मुझको मार दिया।
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जुस्तजू में तेरी क्या न किया है “जैदि”,
था जो मेरा सब तुझ पर ही वार दिया।
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शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”
बीकानेर।