उमड़ घुमड़ कर मेघ कल छाए हमारी छत पर |
उमड़ घुमड़ कर मेघ कल छाए हमारी छत पर |
तन्हाई का पैग़ाम तुम्हारी लाये हमारी छत पर |
तकिये तले तुमने जितने भी अश्क़ छुपाये होंगे
मेघों ने वो अश्क़ सभी बरसाए हमारी छत पर
©® रागिनी अग्रवाल
उमड़ घुमड़ कर मेघ कल छाए हमारी छत पर |
तन्हाई का पैग़ाम तुम्हारी लाये हमारी छत पर |
तकिये तले तुमने जितने भी अश्क़ छुपाये होंगे
मेघों ने वो अश्क़ सभी बरसाए हमारी छत पर
©® रागिनी अग्रवाल