देह
उस देह पर बैठें
कई आँखें हैं
बल्कि देह में लगे
भूगोल पर
पुनरावृति चढ़ने का स्वप्न
स्खलन पर मिटता मन
यह कुदरती प्रक्रिया है
यदि इसमें समेट लेना
स ब कु छ । जैसे
सम्पूर्ण पृथ्वियाँ, भाषाएँ, रचनाएँ,
कविताएँ और स्मृतियाँ
देहों पर समुद्र होना
तुम हो
मैं हूँ
जी व न भ र ।
वरुण सिंह गौतम